जाने कैसे आया 1g से 5g का जनरेशन फुल हिंदी में -टेक टॉपिक हिंदी

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  हेलो दोस्तों
आज का टॉपिक भी  मज़ेदार हैं जिसमे हम जानेंगे की आखिर कैसे 1G से आज 4G  और 5G  का जनरेशन आ गया चलिए जानते हैं फिर 5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
 कभी कागज़ में पैग़ाम लिखकर उसे डाक से पोस्ट किया जाता था लेकिन आज की जनरेशन में बस फोन के दो बटन दबाते हैं और पैग़ाम दूसरे तक पहुंच जाता है। पहले के टाइम में एक पोस्ट को पहुंचने में कई दिनों का समय ले लेता था लेकिन मोबाइल से मैसेज ​बिना सेकेंड देर किए ही मिल जाते हैं। जब कभी आपके ज़हन में भी यह आता होगा कि ये सारी चीजें कैसे संभव हुईं। तो आपको बता दूं कि इसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है हेनरिक हर्ट्ज़ को। सन् 1864 में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल द्वारा माइक्रोवेव की प्रतिलेख की खोज की गई थी। 1864 में अपने समीकरणों के इस्तेमाल से पहली बार जेम्स क्लर्क मैक्सवेल माइक्रोवेव्स ने भविष्यवाणी की थी। इसी थ्योरी पर 1888 में हेनरिक हर्ट्ज़ ने माइक्रोवेव विकिरण (इले​क्ट्रॉनिक्स वेव) का का पता लगाया था और उसे सिद्ध किया। बाद में इसी इलेक्ट्रॉनिक्स वेब पर रेडियो, टीवी और मोबाइल का आविष्कार हुआ। new 5g mobile
परंतु ऐसा नहीं था कि इलेक्ट्रॉ​निक्स वेव का आविष्कार हुआ और सभी मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध हो गाए। बल्कि शुरुआत में इन इलेक्ट्रॉनिक्स वेब्स की क्षमता काफी सीमित थी। बाद में क्रमबद्ध तरीके से इनका आविष्कार किया गया। आज 4जी नेटवर्क उपलब्ध हो चुका है और 5जी दस्तक देने वाला है। पंरतु शुरुआत में जो मोबाइल तकनीक आई वां इतनी ताकतवर नहीं थी। लगभग हर 10 साल में मोबाइल नेटवर्क में बदलाव हुआ है। आगे हमनें 1जी से लेकर 5जी तक के सफर को विस्तार बताया है जिससे​ कि आप मोबाइल टेलीफोनी को समझ सकें।5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
1जी नेटवर्क

मोबाइल नेटवर्क में जी का आशय जेनरेशन से है। 1जी मोबाइल टेलीफोनी की पहली जेनरेशन अर्थात पहली पीढ़ी है। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक थी और इसकी क्षमता बेहद ही कम थी। सबसे पहले सन् 1979 में 1जी तकनीक का उपयोग किया गया था। जापान में निपॉन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन कंपनी जिसे एनटीटी नाम से भी जाना जाता है ने सबसे पहले लॉन्च किया था और 1980 के दशक में यह तकनीक काफी लोकप्रिय हुई। 1983 में इसे यूएस में लॉन्च किया गया। हालांकि मोटोरोला कंपनी के मार्टीन कूपर ने 1973 में ही मोबाइल फोन का आविष्कार कर लिया था लेकिन 1जी फोन का उपयोग 1980 के दशक में शुरू हुआ। 1जी तकनीक खास कर वॉयस के लिए थी, जिसकी क्षमता सिर्फ 2.4केबीपीएस तक की गति थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत से पहले पाकिस्तान में मोबाइल सेवा उपलब्ध थी।
2जी नेटवर्क 5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
पहली बार 1991 में मोबाइल के 2जी नेटवर्क का विकास किया गया। इसमें काफी बदलाव आए। 1जी जहां एनालॉग नेटवर्क था वहीं 2जी में के लिए डिजिटल सिग्नल का उपयोग किया गया। हालांकि 2जी के लिए दो तरह की तकनीक का उपयोग किया गया। जहां फिनलैंड से जीएसएम आधारित मोबाइल तकनीक शुरू हुई वहीं यूएस में सीडीएमए का प्रयोग किया गया। 2जी सिग्नल के माध्यम से फोन अब टेक्स्ट मैसेज, पिक्चर मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज भेजने में सक्षम हो गए। वहीं बैटरी खपत में भी यह 1जी की अपेक्षा काफी कम करता था।5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile


2जी सेवा में डाटा का भी उपयोग किया जा सकता था लेकिन यह काफी कम थी। इसमें डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 64केबीपीएस तक थी। हालांकि बाद में इसमें कई सुधार हुए और 2.5जी और 2.7जी भी आए और इसका अधिकतम डाटा स्पीड 256केबीपीएस तक हुआ। भारत में शुरुआत 2.5जी से हुआ था। आपको यह जानकर आश्चर्य भी होगी कि भारत में पहली टेलीफोन लाइन कोलकाता और डाउमंड हार्बर के बीच खुरू हुई थी और 1995 में पहली मोेबाइल सेवा भी यहीं से बहाल हुई। कोलकाता के ततकालीन मुख्यमंत्री ज्योती बासु ने यूनियन मिनिस्टर सुखराम को कॉल करके इसकी शुरुआत की थी।
3जी नेटवर्क5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
हालांकि 2जी मोबाइल सर्विस को हर देश अपने अनुसार उपयोग कर रहे थे कोई एक स्टैंडर्ड निर्धारित नहीं था। वहीं वर्ष 2000 के बाद 3जी नेटवर्क की शुरुआत हुई। इसके लिए आईटीयू (इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन) आईएमटी 2000 नाम से स्टैंडर्ड बनाया। हालांकि जापानी कंपनी एनटीटी डोकोमो ने प्री कॉ​मर्शियल सर्विस लॉन्च कर दी थी लेकिन वर्ष 2001 इसे अधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया गया। 3जी नेटवर्क डाटा और कॉल दोनों के लिए था।





render of 3g text with a smartphone

इसमें डाटा की स्पीड की शरुआत 384केबीपीएस से 2एमबीपीएस बीच थी। 3जी में वॉयस कॉल के साथ ही वीडियो कॉल का भी सुविधा उपलब्ध थी। वहीं इसमें फाइल ट्रांसफर, इंटरनेट, आॅनलाइन टीवी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, 3डी गेमिंग और ईमेल सेंड-रिसीव जैसे फीचर शामिल थे। 2जी तकनीक के मुकाबले 3जी तकनीक की खासियत थी कि यह ​अधिक सुरक्षित थी। वहीं 3जी तकनीक में कई विकास किए गए। एचएसडीपीए, एचएसपीए, एचएचपीए+ और एचएचएसपीए टर्बो 3जी के ही स्टैंडर्ड हैं। इसकी अधिकतम डाटा झमता 42एमबीपीएस तक की है।
4जी नेटवर्क5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
आज भारत सहित विश्व भर में 4जी का ही बोलबाला है। हालांकि इसकी कहानी भी अजीब है। 4जी तकनीक की शुरूआत साल 2007 में हुई लेकिन उस वक्त यह वाईमैक्स नेटवर्क पर टेस्ट किया गया था। इसे आईटीयू ने तैयार नहीं किया था। वहीं वर्ष 2008 में आईटीयूट ने 4जी के लिए आईएमटी अडवांस तकनीक की घोषणा कर दी जो ​जिएसएम आधारित 4जी तकनीक थी। इसके बाद से इसमें विकास देखा गया। इसमें भी एनटीटी डोकोमो ने पहले 4जी नेटवर्क का ट्रायल किया था लेकिन जानकारी के अनुसार पहले अधिकारिक रूप से 4जी की शुरुआत एक फिनिश कंपनी द्वारा की गई थी। हालांकि भारत में भी बीएसएनएल सहित कुछ आॅपरेटर्स ने वाईमैक्स तकनीक का परीक्षण किया था लेकिन यह आ नहीं पाया और सबसे पहले एयरटेल ने कोलकाता से 4जी एलटीई की शुरुआत कर दी। इसमें भी दो तकनीक है। एयरटेल ने 4जी की एफडीडी तकनीक को लॉन्च किया था। बाद में वोडाफोन और आइडिया ने भी इसे ही पेश किया लेकिन 5 सितंबर 2016 से पूरा बाजार बदल गया। रिलायंस जियो ने भारत में 4जी की टीडीडी सर्विस लॉन्च की और कंपनी ने 4जी वोएलटीई को मुहैया कराया। इसके बाद तो भारत में 4जी का बूम आ गया। 3जी से ज्यादा 4जी नेटवर्क का कवरेज है।
4जी में भी अब तक कई सुधार हुए हैं और इसकी क्षमता को बढ़ाया गया है। इसकी डाटा क्षमता को कैट से डिफाइन किया गया है। यदि किसी फोन में कैट.3 सपोर्ट है तो वह 100 एमबीपीएस तक की गति से ही डाटा हस्तांतरण करने में सक्षम है। इसी तरह यदि कैट.4 है तो 150 एमबीपीएस, कैट.6 है तो 300 एमबीपीएस, कैट.9 है तो 450 एमबीपीएस और यदि कैट. 11 है तो 4जी नेटवर्क पर 600 एमबीपीएस तक की गति से डाटा हस्तांतरण करने में सक्षम होगा। 600 एमपीपीएस 4जी की अधिकतम स्पीड है।

5जी नेटवर्क 5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
हालांकि कहा जाता था कि भारत तकनीक में दूसरे देशों से काफी पीछे है। यहां लगभग 15 साल की देरी से मोबाइल सर्विस आई। 3जी सर्विस में भी हम लगभग 10 साल पीछे थे। यूरोपिय देशों ने 2001 में ही 3जी सर्विस लॉन्च करना शुरू कर दिया था लेकिन भारत में 2011 के बाद यह सर्विस आई। हालांकि 4जी ने देरी के खाई को बहुत हद तक कम कर दिया है जल्द ही देश में आ गई। हम लगभग 3 से 4 साल देर थे। वहीं 5जी में शायद अब ऐसा भी न हो। हाल में 3जीपीपी ने विश्व भर में 5जी नेटवर्क के लिए लोगो सहित टावर्स और स्मार्टफोन के मानकों का निर्धारण कर दिया है। 5जी स्टैंडर्ड के लिए आईएमटी 2020 का नाम दिया गया है। अच्छी बात यह कही जा सकती है कि 5जी के लिए विश्व की लगभग सभी प्रमुख कंपनियों ने उत्सुकता दिखाई है और 2019 तक 5जी नेटवर्क की शुरुआत करने का भरोसा दिया है। अर्थात आज से 13 महीने बाद ही इसकी घोषणा हो सकती है। गौरतलब है कि 3जीपीपी ही संस्था है जो वैश्विक स्तर पर मोबाइल सर्विस प्रसार के लिए मानक तय करती है।


जानिए कब आ रहा हैं 5G इंडिया मे 5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
5जी सर्विस मानक तय करने का फायदा यह है कि अब विश्व भर के आॅपरेटर्स इसके लिए नेटवर्क और रेडियो इंजीनियर इस पर कार्य कर सकेंगे। 3जीपीपी संस्था द्वारा अल्ट्राफास्ट 5जी नेटवर्क के लिए मानक तय करने के बाद अब फोन निर्माता और रेडियो इक्यूपमेंट निर्माता अपने 5जी प्रोडक्ट लॉन्च कर सकेंगे। सबसे अच्छी बात यह कही जा सकती है कि भारत इस बार 5जी के लिए पहले से तैयार है। रिलायंस इं​डस्ट्रीन के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने घोषणा की थी रिलायंस जियो नेटवर्क 5जी रेडी भी है। वहीं इसके विकास के लिए कंपनी ने सैमसंग से समझौता भी कर लिया है। वहीं एयरटेल भी पीछे नहीं है। कंपनी ने 5जी सर्विस और आईओटी एप्लिकेशन के विस्तार के लिए नोकिया से साझेदारी की है। वैसे 2014 में ही एनटीटी डोकोमो ने 5जी के लिए परि​क्षण शुरू ​कर दिया था। 5g technology5g phong network mobile phone5g 2gnew 5g mobes5ile
जहां 4जी के लिए अधिकतम स्पीड 600 एमबीपीएस तक ही है जबकि 5जी स्पीड 1​जीबीपीएस से शुरू माना जाता है। ऐसे में आप खुद ही सोच सकते हैं कि यह अहसास कैसा होगा। बस चंद सेकेंड में मूवी डाउलोड होंगे और बिना बफर के चलेगा लाइव वीडियो। मल्टीप्लेयर गेमिंग और हेल्थ सेवाओं में भी गजब का बदलाव देखने को मिलेगा। हालांकि 3जीपीपी द्वारा 5जी के लिए मानक तय किये जाने में एक बात और खास थी कि कम बैटरी खपत पर जोर दिया गया था। ऐसे में कहा जा रहा है कि यह इसमें पावर कंजम्शन 4जी की अपेक्षा कम होगी।
आशा करूँगा की आपको हमारी पोस्ट पसंद आयी होगी

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